कनाडाई अधिकारियों का सनसनीखेज दावा: गृह मंत्री अमित शाह पर खालिस्तानी आतंकियों के हमलों की योजना बनाने का आरोप
कनाडा और भारत के बीच रिश्तों में खटास का नया अध्याय खुलता दिख रहा है। हाल ही में कनाडा के अधिकारियों ने गृह मंत्री अमित शाह पर एक बड़ा और सनसनीखेज आरोप लगाया है। उनका दावा है कि भारत ने खालिस्तानी आतंकियों को निशाना बनाने के लिए एक गुप्त योजना बनाई है, जिसमें भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) और कुख्यात बिश्नोई समूह की संलिप्तता बताई जा रही है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस घटनाक्रम से गहरी चिंता में हैं और उनका कहना है कि “दिल्ली की कार्रवाई अस्वीकार्य है।” दरअसल, यह पूरा मामला तब गर्माया जब भारत ने अचानक से खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिसकी उम्मीद शायद कनाडा नहीं कर रहा था। भारत के इस आक्रामक रुख से ट्रूडो पर कूटनीतिक दबाव बढ़ गया है।
खालिस्तानी मुद्दे पर बढ़ती तल्खी
यह कोई नई बात नहीं है कि भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर लंबे समय से तनाव चल रहा है। खालिस्तानी समर्थक गुट, जो अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, वर्षों से कनाडा में सक्रिय हैं। भारत सरकार ने हमेशा कनाडा से इन गुटों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है, लेकिन कनाडा में इन गुटों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन मिलने की खबरें अक्सर आती रही हैं।
इस बीच, कनाडा के आरोपों से यह विवाद एक नया मोड़ लेता दिख रहा है। कनाडा का कहना है कि भारत अब सीधे तौर पर उन खालिस्तानी आतंकियों को निशाना बना रहा है, जो कनाडा सहित अन्य विदेशी धरती पर सक्रिय हैं। आरोपों के मुताबिक, रॉ और बिश्नोई समूह मिलकर इन आतंकियों पर हमला कर रहे हैं।
जस्टिन ट्रूडो पर बढ़ता दबाव
जस्टिन ट्रूडो के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। भारत ने जिस तरह से खालिस्तानी आतंकवाद पर खुलकर कार्रवाई की है, उसने ट्रूडो की राजनीति में हलचल मचा दी है। कनाडा में बड़ी संख्या में खालिस्तानी समर्थक रहते हैं, जो राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। भारत की ओर से आई इस सख्त कार्रवाई ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
भारतीय अधिकारियों का मानना है कि खालिस्तानी आतंकवाद पर अब और नरमी बरतने का समय नहीं है और इसीलिए विदेशों में बैठे इन गुटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।SCO meeting in Pakistan
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
इस ताजा विवाद से भारत और कनाडा के संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार, शिक्षा, और अन्य क्षेत्रों में घनिष्ठ संबंध हैं, लेकिन खालिस्तानी मुद्दा हमेशा से एक कांटेदार मुद्दा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस मसले को जल्द सुलझाया नहीं गया, तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ सकता है।
यह भी देखना दिलचस्प होगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले में अन्य देश कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। भारत के इस आक्रामक कदम से दुनिया भर के देशों में एक संदेश गया है कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा।
कुल मिलाकर, खालिस्तानी आतंकवाद पर भारत की कड़ी कार्रवाई ने न केवल कनाडा बल्कि पूरी दुनिया में एक बड़ा संदेश दिया है। अब यह देखने की बात होगी कि कनाडा और अन्य देश इस मामले को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं और भारत के साथ अपने संबंधों को कैसे साधते हैं।