अमेरिका ने भारत से की कनाडा के साथ सहयोग की अपील

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और कनाडा के बीच चल रहे विवाद में अब अमेरिका भी खुलकर सामने आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सरकार ने भारत से आग्रह किया है कि वह कनाडा के साथ सहयोग करे। अमेरिका ने इस मामले में कनाडा को पूरा समर्थन दिया है और भारतीय सरकार से इस मसले पर गंभीरता से विचार करने की मांग की है।

अमेरिका का कड़ा रुख

अमेरिकी सरकार के एक बयान में कहा गया, “जब बात कनाडा की हो, तो हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि आरोप बेहद गंभीर हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।” इसके साथ ही अमेरिका ने आरोप लगाया कि भारत इस मुद्दे पर सहयोग नहीं कर रहा और उसने ‘वैकल्पिक मार्ग’ चुन लिया है।

अमेरिका के इस स्पष्ट बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़रें अब भारत की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। सवाल यह है कि भारत इस मामले पर क्या जवाब देगा और कैसे अपने रुख को पेश करेगा।

क्या है विवाद?

यह मामला तब शुरू हुआ जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारतीय खुफिया एजेंसी (RAW) का हाथ कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे हो सकता है। इस आरोप ने भारत-कनाडा संबंधों में तनाव पैदा कर दिया। भारत ने इन आरोपों को निराधार बताया और ट्रूडो की सरकार पर खालिस्तानी गुटों को समर्थन देने का आरोप लगाया।

भारत की रणनीति

भारत को अब एक संतुलित रणनीति अपनानी होगी। भारत सरकार ने पहले ही कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और यह स्पष्ट किया है कि वह खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है। ऐसे में अमेरिका द्वारा कनाडा के पक्ष में खड़े होने से भारत पर कूटनीतिक दबाव बढ़ गया है।

भारत को क्या जवाब देना चाहिए?

भारत को इस मुद्दे पर अपनी कूटनीतिक चतुराई का प्रदर्शन करते हुए अमेरिका और कनाडा दोनों से स्पष्ट संवाद की आवश्यकता है। भारत निम्नलिखित कदम उठा सकता है:

  1. आरोपों की निष्पक्ष जांच: भारत को यह संदेश देना चाहिए कि वह किसी भी आरोप की निष्पक्ष जांच के लिए तैयार है, लेकिन बिना सबूत के लगाए गए आरोपों का वह समर्थन नहीं करेगा।
  2. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जानकारी देना: भारत को अपने पक्ष को स्पष्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रहना होगा। उसे यह बताना होगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाता है और किसी भी गुट को समर्थन देने का काम नहीं करता।
  3. द्विपक्षीय वार्ता की पेशकश: भारत कनाडा को द्विपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव दे सकता है ताकि मामले का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके।
  4. आंतरिक मुद्दों को प्राथमिकता देना: भारत को अपने आंतरिक मामलों में खालिस्तानी गुटों की गतिविधियों पर भी कड़ी निगरानी रखनी होगी, ताकि देश की सुरक्षा को कोई खतरा न हो।

अमेरिका का समर्थन और भारत की स्थिति

अमेरिका द्वारा कनाडा को समर्थन दिए जाने से भारत को अपने वैश्विक संबंधों में संतुलन बनाए रखना होगा। अमेरिका और भारत के बीच कई अहम कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध हैं, जिन्हें किसी भी प्रकार के तनाव से बचाना ज़रूरी है। हालांकि, भारत को अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता नहीं करना चाहिए और इस मामले में एक कड़े और सटीक जवाब की जरूरत है। विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान पीएम द्वारा आयोजित डिनर में भाग लिया 

निष्कर्ष

इस पूरे विवाद ने भारत, कनाडा और अब अमेरिका के संबंधों को एक नए मोड़ पर ला दिया है। भारत को इस स्थिति में अपनी कूटनीतिक नीति का सही उपयोग करते हुए संतुलित लेकिन दृढ़ रुख अपनाने की आवश्यकता है। आने वाले दिनों में भारत की प्रतिक्रिया इस विवाद के भविष्य की दिशा तय कर सकती है।

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