भारत के  विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने इस्लामाबाद में SCO शिखर सम्मेलन में दिया संबोधन, आतंकवाद और वैश्विक चुनौतियों पर की अहम चर्चा

आज सुबह इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सरकार प्रमुखों की परिषद की बैठक में भारत के विदेश मंत्री ने भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस मौके पर उन्होंने आधुनिक दुनिया में उत्पन्न हो रहे गंभीर चुनौतियों और SCO के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अपने विचार साझा किए। विदेश मंत्री ने खास तौर पर SCO की आतंकवाद, अलगाववाद, और उग्रवाद से निपटने की भूमिका पर जोर दिया और इसे आज की दुनिया में और भी महत्वपूर्ण बताया।

SCO के उद्देश्यों की प्रासंगिकता

अपने वक्तव्य की शुरुआत में विदेश मंत्री ने कहा कि “SCO का मुख्य लक्ष्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटना है, जो मौजूदा समय में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन खतरों से निपटने के लिए SCO देशों के बीच ईमानदार संवाद, आपसी विश्वास और पड़ोसी संबंधों का महत्व अत्यधिक है। इसके साथ ही, उन्होंने SCO चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि करने की आवश्यकता पर जोर दिया। “तीन बुराइयों” (आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद) से निपटने के लिए संगठन को मजबूत और अडिग रहने की जरूरत है।

वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन की जरूरत

उन्होंने कहा कि “वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन आज की वास्तविकताएं हैं,” और SCO देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि सहयोग आपसी सम्मान, संप्रभु समानता और क्षेत्रीय अखंडता की मान्यता पर आधारित होना चाहिए। यह सहयोग केवल सच्चे साझेदारी पर निर्मित होना चाहिए, न कि किसी एकतरफा एजेंडे पर। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वैश्विक प्रथाओं, विशेष रूप से व्यापार और ट्रांजिट के क्षेत्र में, चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाए जाते हैं, तो SCO की प्रगति बाधित हो सकती है।

औद्योगिक सहयोग और सतत विकास

औद्योगिक सहयोग को SCO के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बताते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इससे न केवल प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी, बल्कि श्रम बाजारों का भी विस्तार होगा। छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) के बीच सहयोग, संपर्कता में सुधार, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में भी SCO देशों को एक साथ काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे वह स्वास्थ्य सुरक्षा हो, खाद्य सुरक्षा हो या ऊर्जा सुरक्षा, सभी के लिए एक साथ काम करना फायदेमंद है।

भारत की पहल और योगदान

भारत की विभिन्न पहलों को SCO के लिए प्रासंगिक बताते हुए विदेश मंत्री ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), महिला-नेतृत्व विकास, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा प्रतिरोधक बुनियादी ढांचा (CDRI), मिशन LiFE, ग्लोबल बायोडाइवर्सिटी अलायंस (GBA), योग और अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस जैसे प्रयासों का जिक्र किया। इन पहलों से न केवल SCO को फायदा होगा, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता

SCO की भूमिका पर चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह संगठन वैश्विक संस्थानों को सुधारने के पक्ष में प्रमुख आवाज उठाने वालों में से होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को और अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और उत्तरदायी बनाने के लिए “सुधारित बहुपक्षवाद” की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि SCO को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए ताकि दुनिया के संस्थानों को समय के साथ अद्यतन किया जा सके।

SCO चार्टर के पालन का आह्वान

अपने वक्तव्य के अंत में विदेश मंत्री ने SCO के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आपसी हितों को ध्यान में रखने और SCO चार्टर के दिशा-निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “SCO परिवर्तन की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिस पर दुनिया का बड़ा हिस्सा विश्वास करता है। हमें इस जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश करनी चाहिए।”

निष्कर्ष

भारत द्वारा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में दिए गए इस वक्तव्य से यह स्पष्ट होता है कि भारत संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। चाहे वह आतंकवाद से लड़ने की बात हो, या वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता, भारत का रुख स्पष्ट और मजबूत है। भारत ने SCO को सहयोग, आपसी सम्मान, और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मजबूत और स्थायी मार्ग प्रदान करने की अपील की है।

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